Trending

40 गांव के 90 जल स्रोतों में मिला फ्लोराइड!, फ्लोरोसिस के शिकार होने के बाद भी ग्रामीण नहीं कर रहे फिल्टर प्लांट के पानी का इस्तेमाल, प्रशासन अब उठा रहा यह कदम…
पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। देवभोग ब्लॉक के 40 से ज्यादा गांव के 90 से ज्यादा पेयजल स्रोत में फ्लोराइड है. इस बात का खुलासा 12 माह से जल शक्ति बोर्ड के वैज्ञानिकों द्वारा 94 गांव के 175 वाटर सेंपल की जांच से हुआ है. सैकड़ों ग्रामीण डेंटल और स्केलटल फ्लोरोसिस के पीड़ित भी हैं. लेकिन सोच ऐसी है कि इन गांव में रहने वाले फ्लोराइड रिमूवल प्लांट का साफ पानी इस्तेमाल ही नहीं करते हैं. ऐसे में अब प्रशासन जागरूकता अभियान चलाने की बात कह रहा है. यह भी पढ़ें : नक्सलियों की बड़ी साजिश नाकाम, अमदई खदान में प्रेशर कुकर आईईडी बरामद, सुरक्षाबलों ने किया निष्क्रिय
जिले के देवभोग ब्लॉक में फ्लोराइड को सालों से समस्या है. जल शक्ति मंत्रालय बोर्ड के जांच में फ्लोराइड युक्त स्रोत और उसके दुष्प्रभाव का खुलासा हुआ है. साल भर पहले जल शक्ति बोर्ड ने यहां के पेय जल स्रोत जांच की शुरुआत की. क्षेत्रीय निदेशक डॉ. प्रबीर कुमार नायक के मार्गदर्शन वैज्ञानिक मुकेश आनंद और प्रमोद साहू की टीम वाटर सेंपल की जांच में जुटे हैं.

बताया गया है कि अब तक 94 गांव के 175 जल स्रोतों की जांच जल शक्ति बोर्ड की टीम ने किया है, जिसमें 40 से 50 गांव के 90 से ज्यादा स्रोतों में फ्लोराइड की मात्रा नियत मात्रा से ज्यादा है. नांगलदेही, सीतलीजोर, खुटगांव, करचिया, चिचिया, मूड़ागांव जैसे 17 गांव के 51 सोर्स में सर्वाधिक मात्रा पाई गई है.

6 करोड़ के 40 प्लांट लगाए
स्वास्थ्य विभाग के एक सर्वे में वर्ष 2015 में दांत पीले वाले 1500 से ज्यादा स्कूली बच्चों का खुलासा हुआ था, जिसके बाद ग्राउंड वाटर सोर्स की जांच में फ्लोराइड की मौजूदगी का पता चला था. प्रभावित क्षेत्र के 40 स्कूलों में सवा 6 करोड़ खर्च कर फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगाए गए थे, लेकिन जागरूकता की कमी के कारण इसका उपयोग गांव वाले नहीं करते हैं.
अभयारण्य के गांव में सफल प्रयोग
उदंती सीता नदी अभ्यारण्य इलाके के 20 गांव के कई जल स्रोतों में फ्लोराइड की अधिकता पाई गई थी. उपनिदेशक वरुण जैन बताते हैं कि इको सोल्यूशन नामक मुंबई की एनजीओ के प्रमुख मैकेनिक इंजीनियर यतेंद्र अग्रवाल ने सस्ता विकल्प बनाया हुआ है. एक्टिवेटेड एल्यूमिना और टेरापिट फिल्टर की मदद से फ्लोराइड की मात्रा पीने लायक बनाया जाता है.
एक कीट की लागत महज 1000 रुपए के भीतर है. इसे प्रभावित गांव में प्रभावित सभी परिवार को वितरण किया जाएगा. बगैर बिजली से इसे आसानी से वन ग्राम के ग्रामीण इसका उपयोग कर सकेंगे. इसके लिए वन सुरक्षा समिति और कर्मियों के माध्यम से इसकी ट्रेनिंग दी गई है. एक-दो दिनों में इसका वितरण शुरू कर दिया जाएगा.
अभयारण्य में हो रहे इस सस्ते और सुलभ उपकरण की जांच जल शक्ति के वैज्ञानिकों ने नांगलदेही पहुंच कर किया. वैज्ञानिक मुकेश आनंद और प्रमोद साहू ने बताया कि इसके उपयोग से फ्लोराइड की अधिकता दूर हो रही है. पानी पीने लायक आसानी से बन जा रहा है. वैकल्पिक इस्तेमाल के लिए प्रशासन के समक्ष इस सुझाव को रखेंगे.

इस्तेमाल के लिए लोगों को करेंगे जागरूक
गरियाबंद कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने बताया कि देवभोग के 40 स्कूलों में लगे फ्लोराइड रिमूवल प्लांट को अप टू डेट किया गया है. प्रॉपर मॉनिटरिंग के लिए एक कर्मी नियुक्ति किया गया है. मेंटेनेंस भी समय पर हो इसका ध्यान रखा जा रहा है. इसका उपयोग केवल स्कूलों में ना हो आम ग्रामीण भी कर सकें, इसके लिए जागरूकता अभियान चलाने ग्राम स्तर पर काम करने वाले सभी विभागों को निर्देशित किया गया है. इसके अलावा बाड़ीगांव, नांगलदेही, झाखरपारा, कारचिया और कैटपदर ग्राम में सामुदायिक उपयोग के लिए पांच नए फ्लोराइड रिमूवल प्लांट की मंजूरी मिली है, जिसके जल्द क्रियान्वयन के निर्देश दिए गए हैं.

3 Comments

Raj Shekhar Mar 13, 2025
Comment###

Leave a comment
Related News
Follow Us
Trending News






















Newsletter
for more information contact us